Monday, December 6, 2010

महाहर

Ashish yadav on July 18, 2010 at 3:35pm
पहले तो मै 'रवि कुमार गिरी जी' को प्रणाम करता हूँ की उन्होंने इतनी अच्छी बात शुरू की. अब मै भगवान् भोलेनाथ का नाम लेकर उन्ही के बारे में बता रहा हु. गाजीपुर जिले में एक गाजीपुर-मऊ संपर्क मार्ग पर एक स्थान है मरदह. मरदह से पूरब की तरफ करीब ४ या ५ कि० मि० की दुरी पर स्थान है महाहर. वैसे तो इस स्थान को वहा के स्थानीय लोग महारे या महार कह कर पुकारते है. वही महाहर में भगवान् भोलेनाथ का मंदिर है जो पुरे गाजीपुर में प्रसिद्द है. वहा पे इस मंदिर के अलावा भी कई देवी और देवताओ के मंदिर हैं, जैसे भगवान् कृष्ण, माता दुर्गा, राम जी, भैरव बाबा, कुल १५वो मंदिर है. लेकिन सबसे आस्थावान मंदिर भगवान भोले का ही है. अपने कन्धों पे रख कर अपने माता-पिता को सभी तीर्थों की सैर कराने वाले श्रवन कुमार को दसरथ जी ने यही पे मारा था. कहा जाता है की यहाँ पे बहुत सारा सोना चाँदी गाड़ा गया है. कई बार कई लोगो ने यहाँ पे खुदाई करवाने का प्रयास किया लेकिन उनके घर कोई न कोई अशुभ घटना घट गई. सावन के महीने में यहाँ पे बहुत दूर दूर से लोग आते है. वैसे तो तो हर सोमवार को काफी भीड़ रहती है किन्तु सावन के प्रत्येक सोमवार को यहाँ पे हज़ारों की संख्या में श्रद्धालु आते है. यहाँ पर महाशिवरात्रि के दिन मेला लगता है जो करीब ३ दिनों तक चलता है. और भी बाते है इसके सम बांध में जो फिर कभी जिक्र करूँगा. हर हर महादेव जय शिव शंकर
Ravi Kumar Giri (Guru Jee) on June 11, 2010 at 1:06pm मैं यहाँ जिस मंदिर ka जिक्र करने जा रहा हु वह मंदिर बिहार में छपरा और सिवान जिला के बोर्डर पर हैं महेंद्र नाथ मंदिर जिसे वहा लोकल भासा में मेहंदार कहा जाता हैं . इस मंदिर के बिसय में एक दन्त कथा हैं की ये इलाका पहले नेपाल के अधीन था और यहाँ के राजा थे रजा महेंद्र जिन्हें चर्म रोग था , एक बार वो इस इलाका से हो कर गुजर रहे थे कोशो दूर कोई गावं ना था , उन्होंने एक सिपाही से पानी लाने के लिए कहे ओ पानी के लिए गया लेकिन उसे कही पानी नहीं मिला एक जगह कुछ सुआर खोद कर गद्दा बनाये थे जिसमे पानी था और ओ साफ भी था वही पानी लेकर राजा के पास चला गया , राजा जैसे ही हाथ धोये उनका हाथ का दाग ठीक हो गया उन्होंने सिपाही से पूछा ये पानी कहा से लाया , सिपाही दर कर कापने लगा और बोला जन बक्से तो बताऊ , राजा ने कहा उस जगह ले चलो तुम्हे इनाम दिया जायेगा , सिपाही वहा ले गया और राजा उशी पानी में लोट पोट हो गए और उनका पूरा सरीर ठीक हो गया , फिर राजा वहा बावन बीघा में पैसा चिट्वा कर हल चलवा दिए और कहा जिसे पैसा चाहिए माटी उठाये और बाहर जाकर फेके और पैसा ले एसा रोज होने लगा और एक बड़ी पोखरा की खुदाई हो गई और राजा वहा एक भागवान शंकर की मंदिर बनवाए , और ओ मंदिर महेंद्रा नाथ और मेह्दार के नाम से मशहुर हैं , आज भी लोग कहते हैं वहा जो भी मन से माँगा जाय ओ पूरा होता हैं , बोलो प्रेम से शंकर भागवान की जय , हर हर महादेव ,

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